वक्त रवानी

Friday, December 23, 2011

वक्ते रवां का तर्ज़े रवानी
कैसा बुढ़ापा कैसी जवानी।

लाख बयाँ और एक मयानी?
मेरी कहानी, सबकी कहानी

लाखों बचपन एक कहानी
एक था राजा, एक थी रानी।

दुनिया दुनिया दौलत दौलत
फ़ानी फ़ानी आनी जानी।

कबतक हुस्न पे नाज़ करोगे
किस बिरते पर तत्ता पानी।

दिल का कहा सब मैंने किया
पर दिल ने मेरी एक न मानी

इश्क की बातें हुस्न की घातें
कितनी नयी और कितनी पुरानी

हुस्न की सूरत इश्क की हालत
शोला शोला पानी पानी।

अहले ख़िरद की बातें बातें
क्या जिस्मानी क्या रूहानी

अहले अमल की बात मुकम्मिल
क्या इंसानी क्या यज़दानी

"का वर्षा जब कृषि सुहानी
समय चूंकि पुनि का पछतानी।"

जां के लिए बस एक ही पैकर
हम ज़िन्दा हैं या ज़िन्दानी?

रूह की ख़ातिर सैकड़ों आलम
रमता जोगी बहता पानी।

दुनिया दुनिया दरिया दरिया
आंछे इंसा छिछला पानी।